बिहार राज्य के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में कैमूर पहाड़ी के गुफा में स्थित माँ ताराचण्डी देवी का मंदिर सासाराम नगर से 5 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और अशोक शिलालेख से लगभग 1 किमी दूर स्थित हैं। यहाँ चंडी देवी मंदिर के पास, चट्टान पर सासाराम के प्राचीन राजा प्रताप धवल का एक शिलालेख भी है। हिंदू ,सिक्ख,बौद्ध ,जैनी पूजा करने के लिए यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं । इसलिए यह एक सुंदर धार्मिक स्थल बन गया है । चारो तरफ से पहा़ड, झरने और जल स्त्रोतों के बीच स्थित ताराचंडी मंदिर का मनोरम वातावरण मन मोह लेता है |
यह भारत के 51 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है । अपनी मनोकामनाओं के पूरी होने की लालसा में दूर-दूर से यहां भक्त आते हैं । माँ ताराचण्डी के दर्शन के लिए नवरात्री में श्रद्धालुओ का ताँता लगा रहता हैं | कथाओं, ग्रंथो और प्राचीन मान्यताओ के अनुसार माता के तारा रूप की पूजा यहाँ होती हैं । वैसे तो यहां सालो भर भक्तो की आना लगा रहता है, लेकिन नवरात्र मे यहा पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है |
नवरात्र में दूर-दराज से यहाँ भक्तो का आना होता हैं । कहा जाता है कि यहा आने वालो की हर मनोकामना माता रानी पूरी करती है । इसलिए लोग इन्हें मनोकामना सिद्धी देवी भी कहते हैं । सासाराम नगर से 5 किलोमीटर दक्षिण में स्थित इस मंदिर के प्रति, यहाँ के लोगो में बहुत ही ज्यादा श्रद्धा और विश्वास हैं । नवरात्र में मां दुर्गा के आठवें रुप की पूजा होती है । अष्टमी को मां के दरबार मे दर्शन के लिए तांता लगा रहता है । दूर-दराज से आए लोग मां के दरबार में मत्था टेकने के बाद मां से आशीर्वाद के साथा-साथ सुख समृद्धि की भी कामना करते हैं | माँ ताराचंडी विन्ध्य पर्वत के कैमूर पर्वत श्रृंखला में विराजमान हैं | भारत के अन्य 51 शक्तिपीठों में इसका स्थान प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में है |