इस मानसून में आप घर में बैठ कर बारिश का आंनद ले रहें होंगे । काले बादल, रिमझिम बारिश और गर्मी से राहत देतीं ठंडी हवाएं ऐसे मौसम में तो एक ही जगह दिखाई देती है वो है बिहार का सासाराम । प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस शहर में और सासाराम अनुमंडल तथा जिला क्षेत्र के आस पास के इलाकों में कई खूबसूरत फॉल्स मौजूद हैं, जहां आप जन्नत का मज़ा ले सकते हैं।
दिल को सुकून पहुंचाने वाले फॉल्स को ढूंढ रहे हैं तो सासाराम का गीता घाट फॉल और आश्रम आपको मानसून के इस खूबसूरत मौसम में घूम ही आना चाहिये ।
सासाराम शहर से मात्र 10 किलोमीटर दूरी पर गीता घाट आश्रम ( Gita Ghat Ashram ) मौजूद है । यहां पर एक सुंदर झरना भी मौजूद है, जिसकी बात हमलोग कर रहे हैं । ये जगह पिकनिक मनाने के लिए शानदार है।
ये वॉटरफॉल इतना खूबसूरत है कि पहली नजर में आपका मन मोह लेगा। ऊँचाई से गिरता हुआ पानी जब नीचे पत्थरों पर पड़ता है तो वो नजारा बेहद खूबसूरत होता है। बिहार के ज्यादातर लोग इस खूबसूरत वॉटरफॉल के बारे में जानते हैं लेकिन ऐसे भी लोग हैं जिन्हें इसके राजसी सौंदर्य का बिल्कुल अंदाजा नहीं है ।
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सावन आया, बादल छाए …बोलो तुम कब आओगे
आपको यहाँ बारिश के मौसम में आना चाहिए। इस समय ये वॉटरफॉल पानी से लबालब भरा रहता है। लेकिन बारिश के समय वॉटरफॉल के नीचे की चट्टानें बेहद फिसलाऊ हो जाती हैं इसलिए सावधानी जरूर रखें।
परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाना चाहते हैं तो आपको इस जगह पर आना चाहिए । गीता घाट वॉटरफॉल को घूमने का सबसे सही समय जुलाई से अगस्त तक है ।
विश्व विख्यात गीता घाट बाबा
सासाराम की संत परंपरा के प्रतीक रहे परमहंस स्वामी शिवानंद जी तीर्थ “गीता घाट बाबा” सन् 1950 के दशक के उत्तरार्द्ध में बाबा कैमूर पहाड़ी क्षेत्र में आये थे । कई वर्षो तक यहां साधना में लीन रहने के क्रम में उनकी ख्याति देश विदेश तक फैली थी ।
गीता घाट बाबा का बाघ से सामना
इन्होंने आज के गीता घाट आश्रम के परी माई (गदहिया कुंड) में आकर तप प्रारंभ कर दिया । लगातार 22 दिनों तक तप साधना किया । इस दौरान बाघ से भी इनका सामना हुआ । इस स्थान पर बाघ पानी पीने आते थें । बाबा को तप में लीन देख कर भय से बाघ ने पानी पीना छोड़ दिया ।
बाबा ने बाघ को सहलाया और बाघों को भयमुक्त होकर पानी पीने के लिए उस स्थान को छोड़कर शीतल कुंड झरना पर चले गए । ये भी आज के गीता घाट आश्रम में ही है ।
सासाराम के साहू टाकीज मुक्तश्रम में ब्रम्हलीन हुए
सादगी-त्याग के प्रतीक बाबा के शिष्य प्रत्येक वर्ग के किसान, व्यवसायी, अधिवक्ता, डाक्टर, इंजीनियर से ले प्रोफेसर तक हैं । बाबा का देहावसान वर्ष 1996 में सासाराम शहर के साहू टाकीज मुक्ताष्रम में हुआ था ।
गुरु पूर्णिमा पर गीता घाट में मेला लगता है
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गीता घाट आश्रम (Gita Ghat Ashram) में बड़ी संख्या में श्रद्धलुओं का जमावड़ा लगता है । दूर दराज से भक्त आते हैं और पूजा ,अर्चना के बाद मेला का आनंद लेते है ।
नदी के रास्ते गीता घाट झरना का सफ़र यादगार होता है
गीता घाट आश्रम से झरना तक का सफ़र बहुत ही रोमांचक होता है , इस दौरान आपको नदी कि गहराई ,चट्टानों की ऊंचाई और काई का ध्यान भी रखना पड़ता है । कई जगहों पर नदी का किनारा आपको “तिनके को सहारा” की तरह प्रतीत होगा ।
जबकि कई जगहों पर नदी में उतरे बिना झरना तक पहुंचने का कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं रहेगा । ऐसे में नदी के रास्ते गीता घाट झरना तक जाने में विशेष सावधानी बरतना चाहिए ।
ऐसे पहुंचे गीता घाट आश्रम सासाराम ( Gita Ghat Ashram )
सासाराम शहर से कादिरगंज – दरिगांव सड़क के माध्यम से लगभग 10 किलोमीटर का सफ़र करके धरबैर गांव पहुंचीए । धरबैर गांव में एक विशाल मुख्य प्रवेश द्वार बना हुआ है । इस द्वार के जरिए आप गांव को बिचो बीच पार करते हुए गीता घाट आश्रम पहुंच जाएंगे ।
यहां पर गीता घाट बाबा के शिष्यों के कई साधना आश्रम बने हुए हैं । यहीं पर गीता घाट फॉल भी देखने को मिल जाएगा ।
पॉइंट्स टू बी नोटेड , माई लॉर्ड
“सासाराम कि गालियां” संगठन आपसे अनुरोध करती है कि किसी भी जलप्रपातों पर भ्रमण करने से पहले इन बातों का जरुर ध्यान रखें :-
- गीता घाट पर्यटन स्थल के साथ आध्यात्मिक स्थल भी है, इसलिए इसके शुद्धता का पूर्ण ख्याल रखें, परंपरा का सम्मान करें ।
- यहां पर मांस मछली, शराब इत्यादि जैसी चीजें जो सनातन संस्कृति में वर्जित है ,बिल्कुल भी इस्तमाल नहीं करें ।
- सेल्फी लेने के लिए जलप्रपात के खतरनाक जगहों पर बिल्कुल नहीं जाएं ।
- बारिश के कारण फिसलन का डर है , इसलिए पहाड़ पर चढ़ाई और उतरने के दौरान विशेष सावधानी रखें ।
- सेल्फी लेने के लिए पहाड़ के एकदम किनारे पर नहीं जाएं, फिसलन से छटकने का डर है ।
- घाट पहाड़ का घाटी वर्टिकल है ,इसलिए किनारे जाते समय सावधानी रखें ।
- जलप्रपात में तेज उफान वाले जगहों के अत्यधिक करीब जाने का प्रयास बिल्कुल नहीं करें, इन जगहों पर खतरों की अंदेशा हमेशा बनी रहती है ।
- कृपया पिकनिक मनाकर इधर उधर प्लास्टिक, पत्तल, ग्लास, खाना और कूड़ा फेंक कर पर्यटक स्थल व प्रकृति को गन्दा नहीं करें । इससे नदी में प्रदुषण होता है और जंगली जानवरो द्वारा खाने का भी खतरा रहता है ।
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