आखिर प्रकृति से प्यार कौन नहीं करता है। हर कोई अपनी छुट्टियों में पहाड़ों पर घूमने का ही प्लान बनाता है । ऐसी जहां जहां पर प्रकृति की अनोखी छटा देखने को मिले और साथ ही वॉटरफॉल का आनंद लेने को मिल जाए फिर क्याही कहना । दूर-दराज से लोग हर साल ही प्रकृति का आनंद लेने देश विदेश के अलग-अलग जगहों पर जाते हैं।
लेकिन क्या आप कभी धुआं कुंड वॉटरफॉल सासाराम गए हैं ? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको इस जगह के बारे में कई ऐसी बातें बताते हैं जिसके बाद आप यहां जाने का प्लान जरूर बनाने की सोचेंगे । तो चलिए जानते हैं इस जगह के बारे में ।
धुआं की खासियत ये है कि इसके शीर्ष से आप प्रकृति की सुंदरता को बेहद करीब से देख सकते हैं और मंत्रमुग्ध हो सकते हैं । यहां हर साल काफी तादाद में लोग पहुंचते हैं और प्रकृति की इस अनोखी छटा को देखकर हैरान रह जाते हैं। धुआं कुंड वॉटरफॉल (Dhuan Kund Waterfall) से आपको विंध्य पर्वत श्रृंखला कि कैमूर पहाड़ियों की खूबसूरती भी देखने को मिल सकती है।
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मांझर कुंड के बिना धुआं कुंड अधूरा है
सासाराम स्थित कैमूर पहाड़ी का पानी चट्टानों में एक धारा बना कर टेढ़े-मेढे रास्तों से गुजरते हुए मांझर कुंड जलप्रपात में इकट्ठा होता है ।
यह पानी लगभग आधा किलोमीटर आगे जाकर ऊँचे पर्वत से झरना के रूप में जमीन पर गिरता है, यही धुआं कुंड ( Dhua Kund ) कहलाता है ।
130 फिट की ऊंचाई से पानी गिरकर धुआं बन जाता है
सासाराम के कैमूर पहाड़ी से 37.1 मीटर की उंचाई से 6.2 मील की गहरी घाटी में गिरने वाले पानी से उठने वाले धुंध या धुआं के कारण इस स्थान को धुंआ कुंड का नाम मिल गया है ।
आपको बताते चलें कि धुआं कुंड में चारो तरफ पहाड़ियों के बीच से सूर्य की किरणे गिरते हुए जलप्रपात पर जैसे ही पड़ती है , इस गिरते हुए जलप्रपात में सतरंगी छटा बिखेर देती है । यह देखने में इंद्रधनुष ही नजर आती है । ये प्राकृतिक छटा आंखों को सुकून पहुंचाती है ।
दो नदियों का जन्मस्थली है धुआं कुंड / Dhuan Kund
धुआं कुंड के धारा से बिहार के दो नदियों का जन्म होता है । काव और कुदरा नदी इसी धुआं कुंड से जन्म लेती हैं । दोनों नदियां बिहार के विभिन्न जिलों से होते हुए अलग अलग स्थानों पर गंगा में विलीन हो जाती हैं । काव नदी के बारे में जानने के लिए मेरे ऊपर क्लिक कीजिए । कूदरा नदी के बारे में जानने के लिए मेरे ऊपर क्लिक कीजिए ।
ऋषि मुनियों की तपोस्थली है धुआं कुंड
धुआं कुंड में भगवान शिव और मां शक्ति की आराधना होती है । पूर्व काल में इस इलाके में कई ऋषि मुनि रहा करते थें । यहां पर साधु संतो की कई इमारतें और गुफाएं हैं ।
मां शक्ति की आराधना और आकर्षक व्यू सेंटर
धुआं कुंड में मां दुर्गा का एक छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण मंदिर है । कई लोगों कि आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है । लोग कहते हैं कि सच्ची श्रृद्धा भावना से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है इस मंदिर में । इस मंदिर को सासाराम के टक्साल संगत मुहल्ले में रहने वाले माता रानी के अनन्य भक्तो ने बनवाया था ।
आपको बताते चलें कि धुआं कुंड की सुंदरता से मंत्रमुग्ध होने के लिए यह मंदिर सबसे उत्तम स्थान है । यहां से धुआं कुंड झरना का बेस्ट व्यू मिलता है । फोटो प्रेमियों के लिए इस मंदिर का कंपाउंड सबसे पसंदीदा स्पॉट है ।
बरसात में सैलानियों का पसंदीदा स्पॉट
बरसात के मौसम में सावन और रक्षाबंधन के ठीक बाद पड़ने वाले रविवार तक धुआं कुंड सैलानियों से पटा रहता है । इस दौरान बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मानने यहां आते हैं ।
कई लोग धुआं कुंड के पास दोनों तरफ की पहाड़ियों पर खाना पकाकर खाते हैं , तो कुछ लोग रेडीमेड खाना भी लेकर आते हैं । इस दौरान पिकनिक मानने वाले सैलानी पहाड़ी पर बहने वाली छोटे छोटे जल धाराओं का पानी पीते हैं , जो जड़ी बूटियों युक्त और सुपाच्य होता है ।
ऐसे पहुंचे धुआं कुंड ( Dhua Kund )
बिहार के राजधानी पटना से करीब 159 किलोमीटर और जिला मुख्यालय सासाराम से सिर्फ 7 से 8 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित धुआं कुंड फॉल तक जाने के लिए ताराचंडी मंदिर के पास से सड़क बनी हुई हैं ।
दो पहिया और चारपहिया वाहन यहां सुबह जाकर शाम तक लौट सकते हैं । आपको बताते चलें कि, इन रास्तों में लाईट तथा पंचर इत्यादि की व्यवस्था नहीं है और बीच में कोई मानव बस्ती भी नहीं है, इसलिए अंधेरा होने से पहले लौटना जरूरी है ।
इन बातों का रखें ध्यान
“सासाराम कि गालियां” संगठन आपसे अनुरोध करती है कि किसी भी जलप्रपातों पर भ्रमण करने से पहले इन बातों का जरुर ध्यान रखें :-
- धुआं कुंड के बेस्ट व्यू सेंटर यानी दुर्गा माता के मंदिर के पास संकीर्ण रास्ता है, इसलिए वहां पर भीड़ नहीं लगाएं ।
- इस मंदिर कि बाउंड्री बहुत छोटी और कमजोर है , इसलिए लटकने, झूलने या इसके ऊपर चढ़ने की कोशिश गलती से भी नहीं करें यह जानलेवा साबित हो सकता है ।
- धुआं कुंड में नीचे उतरने की गलती हरगिज नहीं करें ।
- धुआं कुंड में नहाने या गहराई नापने की कोशिश नहीं करें ।
- सेल्फी लेने के लिए जलप्रपात के खतरनाक जगहों पर बिल्कुल नहीं जाएं ।
- बारिश के कारण फिसलन का डर है , इसलिए विशेष सावधानी रखें ।
- तेज उफान वाले जगहों के अत्यधिक करीब जाने का प्रयास बिल्कुल नहीं करें, इन जगहों पर खतरों की अंदेशा हमेशा बनी रहती है ।
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