यह आरा सासाराम छोटी लाईन और डेहरी रोहतास छोटी लाईन का दूसरा भाग है । पार्ट 1 में अब तक हमने विस्तार से ( लगभग 45,00 शब्दों में ) जाना है कि भारतीय रेलवे, जिसकी शुरुआत 1853 में मामूली थी, तब से राष्ट्र का अभिन्न अंग रहा है। ब्रिटिश सरकार ने रेल और सड़क परिवहन प्रणाली के विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया । 20 वीं सदी में बिहार के पुराने शाहाबाद जिले में आरा-सासाराम लाइट रेलवे और डेहरी-रोहतास लाइट रेलवे की शुरुआत हुई थी ।
बिहार का शाहाबाद जिला, पश्चिमी बिहार में एक भोजपुरी भाषी जिला था और इसका जिला मुख्यालय आरा था । शाहाबाद जिला को अब भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर सहित चार जिलों में बांट दिया गया है । शाहाबाद जिला बिहार में धान का सरप्लस उत्पादक क्षेत्र था, इसलिए राज्य में इसका आर्थिक महत्व था। शाहाबाद जिला देश और राज्य के अन्य हिस्सों में चावल का थोक निर्यातक था।
भोजपुर जिले में आरा, बिहिया, बक्सर और डुमरांव जैसे बिजनेस केंद्र रेल नेटवर्क पर पहले से थें । वहीं दूसरे तरफ रोहतास जिले में मोहनिया, कुदरा, सासाराम और डेहरी जैसे शहर/बाजार भी रेल नेटवर्क पर पहेल से थें । इसलिए ब्रिटिश सरकार ने गढ़ नोखा, बिक्रमगंज, हसन बाजार, पिरो जैसे बाजारों को रेल नेटवर्क से जोड़ने का फैसला किया ।
आरा सासाराम छोटी लाईन के निर्माण के लिए सासाराम के निकट सलेमपुर, कुराईच ( गौरक्षणी ) , शरीफाबाद, रसूलपुर और महद्दिगंज गांवों की भूमि सहित कई भूमियों का अधिग्रहण किया गया था। हमने पार्ट 1 में छोटी लाईन के निर्माण कार्य ब्योरा देखा था, भूमि अधिग्रहण भी देखा था । जिसमे “सासाराम कि गलियां” ने आपको बताया था कि भूमि अधिग्रहण की योजना दिनांक 28.9.1910 के राजपत्र/गजेटियर में प्रकाशित हुई । अब आगे
आरा-सासाराम लाइट रेलवे (बिहार) और बारासेट-बशीरहाट लाइट रेलवे ऑफ बंगाल (मार्टिन एंड कंपनी दोनों) की शुरुआत 1914 में हुई थी ।
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मार्टिन और राजेंद्र नाथ मुखर्जी
मार्टिन के पीछे राजेंद्र नाथ मुखर्जी थे। उन्हें भारत में मार्टिन लाइट रेलवे के बिछाने और संचालन के लिए याद किया गया। उनकी उपलब्धियों में कोलकाता में पल्टा वाटर वर्क्स, बनारस, लखनऊ ,अहमदाबाद और विक्टोरिया मेमोरियल कलकत्ता का निर्माण शामिल था । इन्होंने पटना सचिवालय , टीपू सुल्तान मस्जिद, उज्जयंता पैलेस और कई चर्चों का भी निर्माण किया था ।
मार्टिन एंड कंपनी की आधारशिला
सर थॉमस एक्विन मार्टिन के साथ, राजेंद्र नाथ मुखर्जी ने मार्टिन एंड कंपनी की स्थापना की और कुल्टी में बंगाल आयरन की सफलता में योगदान दिया। बाद में वे बर्नपुर में “द इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी” के लौह कार्यों की स्थापना में जीएच फेयरहर्स्ट में शामिल हो गए।
राजेंद्र नाथ मुखर्जी का इंग्लैंड दौरा
राजेंद्र नाथ मुखर्जी पहली बार 1901 में इंग्लैंड गए और बाद में अपने व्यवसाय के सिलसिले में कई बार गए । ब्रिटिश सरकार के भारत से इंग्लैंड जाने वाले प्रमुख यात्रियों की लिस्ट में वो शामिल हो गए ।
राजेंद्र नाथ मुखर्जी की कृति अमर हो गई
1908 में, मुखर्जी को कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एम्पायर (CIE) नियुक्त किया गया था । 1911 में वे कोलकाता के “शरिफ” बने । इसके अलावा 1911 में, उन्हें KCIE के साथ नाइट की उपाधि दी गई। 1922 में, मुखर्जी को रॉयल विक्टोरियन ऑर्डर (KCVO) के नाइट कमांडर की गरिमा से भी सम्मानित किया गया।
1931 में, कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डी.एससी. (अभियांत्रिकी)। उन्होंने 1921 में कोलकाता में आयोजित भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 8वें सत्र की अध्यक्षता भी की।
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कम्पनी थी “मार्टिन एंड कंपनी”
मार्टिन एंड कंपनी उत्तर प्रदेश के आगरा, बरेली और वाराणसी जैसे शहरों में बिजली वितरण में भी शामिल है।
छोटी लाईन कि बादशाह थी मार्टिन एंड कंपनी
मार्टिन एंड कंपनी भारत में लाइट रेलवे नेटवर्क चलाने में अग्रणी थी। बिहार की सेवाओं की देखभाल के लिए मार्टिन का कार्यालय पटना में था ।
मार्टिन एंड कंपनी का आरा – सासाराम छोटी लाईन
सन् 1914 में इस कंपनी ने बिहार का आरा-सासाराम लाइट रेलवे (बिहार) और बारासेट-बशीरहाट लाइट रेलवे ऑफ बंगाल का शुरुआत किया ।
मार्टिन और बर्न के अन्य लाइट रेल नेटवर्क
- फुतवा-इस्लामपुर लाइट रेलवे (बिहार)
- हावड़ा मैदान-अमता और शियाखला लाइट रेलवे (पश्चिम बंगाल)
- बुख्तियारपुर – बिहारशरीफ लाइट रेलवे (बिहार)
- बारासात-बशीरहाट रेलवे (पश्चिम बंगाल)
- दिल्ली शाहदरा से सहारनपुर लाइट रेलवे (दिल्ली और यूपी)
नोट : अगर आपका प्यार बना रहेगा तो जल्द ही “सासाराम आरा छोटी लाईन और डेहरी रोहतास छोटी लाईन का पार्ट 3 भी , “सासाराम कि गलियां” आपके लिए लेकर आएगा । हमें इस आर्टिकल पर ढेर सारा प्यार और अच्छा रेस्पॉन्स का इंतज़ार रहेगा ।