Sasaram daughter is fulfilling her father’s dream by massive mushroom production : कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो मंजिल का सफर आसान हो जाता है । यह पंक्ति जिला रोहतास निवासी प्रियदर्शनी सिंहा पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं ।
8 मार्च 2022 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के सम्मान में और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेणीत करने के उद्देश्य से “सासाराम कि गलियां” का यह स्पेशल स्टोरी है । आज की हमारी आइकॉन गर्ल सासाराम/रोहतास जिला की सूर्यपुरागढ़ निवासी प्रियदर्शनी हैं ।
पहले अपने हुनर को पंख देने के लिए वह जीविका से जुड़ीं, फिर दर्जनों महिलाओं को जोड़ उन्हें अपने घरों में ही मशरूम उत्पादन कर उससे अचार व पापड़ बना आर्थिक उपार्जन की राह दिखाईं। आपको बताते चलें कि प्रियदर्शनी पीछले तीन वर्षों से स्वयं तो मशरूम की उत्पादन कर ही रही हैं, दूसरी महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रही हैं ।
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पिता हुए असफल
बिक्रमगंज अनुमंडल में स्थित सूर्यपुरागढ़ निवासी प्रमोद सिंहा की पुत्री प्रियदर्शनी ने “सासाराम कि गलियां” को बताया की उनके पिताजी पूर्व में मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू कीये थें, परंतु उन्हें इस कार्य मे सफलता नहीं मिली ।
असफलता को अवसर बनाया
असफलता को अवसर में बदलने के लिए असफलता के कारणों पर गहन चिंतन की जरूरत थी और हम सभी ने ईमानदारी से किया । इससे जो निष्कर्ष सामने निकल कर आया वह यह था की पिताजी प्रशिक्षित नहीं थे और उन दिनों बाजार की भी कमी थी । यह असफलता का मुख्य कारण था ।
पिता की असफलता से हताश होने के बजाए प्रियदर्शनी ने यह ठान लिया कि वह उनके सपने को साकार करेंगी। आज प्रियदर्शनी अपने जुनून व हुनर की बदौलत पुरा जिला में आत्मनिर्भरता की पहचान बन गई हैं ।
कृषि विज्ञान केंद्र से प्रियदर्शनी ने लिया प्रशिक्षण
प्रियदर्शनी ने कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लेने लगी । प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात वह 2018 से ही मशरूम उत्पादन में जी जान से जुट गईं ।
संघर्ष भी सफलता का एक पड़ाव होता है
प्रियदर्शनी बताती हैं कि शुरुआत के दिनों में बहुत संघर्ष करना पड़ा। वह अपने उत्पादों की कहां खपत करें, यह समस्या थी।
जब सफलता की पहली सीढ़ी पर पहुंची प्रियदर्शनी
उत्पादों की खपत की समस्या का निदान निदान के लिए प्रियदर्शनी ने कृषि वैज्ञानिक रीता सिंह से मशरूम जेली, मशरूम पाउडर, मुरब्बा व बिस्कुट आदि बनाने का ट्रेनिंग लिया। उसके बाद अपना प्रोडक्ट शुरू किया। इससे ना सिर्फ बाजार की समस्या से निजात मिली, बल्कि प्रसंस्करण कर आर्थिक उपार्जन का अच्छा जरिया बन गया ।
जिला से पुरष्कृत हुई
प्रियदर्शनी ने बताया की उन्होंने जीविका से जुड़कर कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज से मशरूम व आचार, पापड़ का ट्रेनिंग लिया। इसके लिए जिला से पुरस्कार भी मिला। वर्तमान में बच्चों के लिए भी कई आइटम तैयार हो रहे हैं ।
खुद आगे बढ़ने के बाद अब समाज को दिखा रही हैं राह
आज प्रियदर्शनी की उपलब्धि से दूसरी महिलाएं भी प्रभावित हो रही हैं । वर्तमान में प्रियदर्शनी मशरूम की खेती के संबंध में जीविका दीदियों समते अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर रही हैं, ताकि वे भी रोजगारोन्मुख हो सकें।
क्या कहते हैं जीविका प्रबंधक
जीविका प्रबंधक ने कहा की मशरूम उत्पादन के लिए महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। उन्होंने उत्पादों को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराने की बात को दोहराया । महिला उत्थान के लिए सरकार द्वारा जीविका के माध्यम से सूक्ष्म ऋण देने का प्रावधान है ।
महिला दिवस पर “सासाराम कि गलियां” का सलाम
प्रियदर्शनी के इस सहयोगात्मक कदम से न सिर्फ महिला सशक्तिकरण को बल मिला, बल्कि परिवार को आय का एक मजबूत जरिया भी मिल गया । “सासाराम कि गलियां” आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रियदर्शनी को सलाम करता है तथा हाथ जोड़ कर पुरुष प्रधान परिवारों से विनम्र निवेदन करता है कि कृपया अपने घर की महिलाओं को उचित अवसर प्रदान करें । अवसर मिलने पर हमारी माताएं बहनें भी अच्छा परफॉर्म करेंगी । परिवार को आर्थिक सहयोग भी करेंगी ।