आरा-सासाराम रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन में सहूलियत के लिए 3 वर्ष पूर्व स्वीकृत फ्लाईओवर निर्माण के लिए हुए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया रेलवे द्वारा पूरी कर ली गई है। अधिग्रहित भूमि पर संबंधित भूमि स्वामियों से 1 महीने के अंदर आपत्ति की मांग की गई है, जिसका निराकरण करने के उपरांत मुआवजा भुगतान का कार्य पूरा किया जाएगा। लगभग साढ़े छह अरब की लागत से बनने वाले फ्लाई ओवर ब्रिज का निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर लिमिटेड कपंनी (डीएफसीसएल) द्वारा किया जाएगा । इसके बन जाने के बाद हावड़ा-सासाराम रेलखंड के रास्ते आरा तक ट्रेनों के परिचालन करने में विभाग को सहूलियत होगा । रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फ्लाई ओवर ब्रिज के लिए मदैनी ,अहरांव, शुंभा, धुआं व करमडिहरी मौजा से जुड़ी भूमि को अधिग्रहित किया गया है। जिस पर संबंधित भूमि के मालिक से एक माह के अंदर जिला भू-अर्जन कार्यालय में आपत्ति दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। जिसका निराकरण के बाद मुआवजा भुगतान व निर्माण कार्य का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
6 वर्ष पूर्व भेजा गया था प्रस्ताव
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसीसी) निर्माण से आरा-सासाराम रेलखंड पर प्रभावित होने वाले ट्रेन परिचालन को निर्बाध रूप से जारी रखने के उद्देश्य से डीएफसीसी ने रेलवे को अलग से फ्लाई ओवर बनाने का प्रस्ताव दिया था। फ्लाई ओवर को मोकर गांव से मदैनी रेलवे गुमटी होते हुए दक्षिणी किनारा से सासाराम स्टेशन तक बनाने की बात हुई थी, ताकि पुल के उपर से रेल लाइन बिछा परिचालन को यथावत रखा जा सके। आपको बताते चलें कि, इसके बाद विभाग ने वृहद प्रस्ताव बना अग्रतर कार्रवाई के लिए मंत्रालय को भेजा था। जिस पर मंत्रालय ने मुहर लगाते हुए योजना पर कार्य कराने के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 की आम बजट में शामिल किया था। बजट में फ्लाई ओवर के सर्वे कार्य पर लगभग दस लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया था। सर्वे का कार्य अक्टूबर 2019 में पूरा किया गया था।