Job Producer Stone Industry Sasaram : आइए सासाराम के बहुचर्चित पत्थर उद्योग के बारे में न्यूट्रल रूप से पॉजिटिव और नेगेटिव दोनो साईडों पर नजर डालते हैं।
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सासाराम का लाईफ लाइन (Positive)
सासाराम का लाईफ लाइन कहा जाने वाला पत्थर उद्योग कभी बिहार , पूर्वांचल तथा झारखंड तक को डायरेक्ट या इंडायेक्ट रूप से रोजगार तथा सस्ते माल मुहैया करवाता था ।
घर बनाने के लिए गिट्टी बहुत दूर दराज तक जाता था सासाराम से । जो लोग घर बनवा रहें है वो जानते ही होंगे गिट्टी का भाव , तब और अब में कितना अंतर आ गया है ।
फायदे का कारोबार
इस उद्योग की खासियत थी कि, यह सबको अपना लेता था। छोटे पूंजी वालों से बड़े पूंजी वालों तक सबको फायदा देता था ।
कोई भी इसमें पैसा लगाकर लॉस में नहीं डूबता था । ट्रैक्टर वाले से लेकर गिट्टी तोड़ने वाले मजदूर, क्रेशर चालक , ट्रैक्टर मालिक,ट्रैक्टर चालक,पहाड़ मालिक सब के सब खुशहाल थें इससे ।
शहर के विकास ने पकड़ा था रफ्तार
सासाराम के तरक्की का रफ्तार दुगना तिगुना हो चुका था , बाज़ार में ब्रांड्स आना शुरू होने लगे थे, सबसे ज्यादा छोटे बड़े शोरूम भी इसी समय खुले थे । होटल भी फल फूल रहे थे । सब ख़तम हो गया , पत्थर उद्योग बंद होने से ।
पर्यावरण को नुक्सान ( Negative)
बिहार सरकार ने पत्थर उद्योग बंद करने के लिए पर्यावरण को नुक्सान का कारण बताया । सरकार ने पहाड़ बचाने के लिए यह कदम उठाया था ।
क्रेशर से बहुत ज्यादा धूल उड़ते थें, जो कि फेफड़ों के लिए नुकसानदायक है । आस पास के गांवों में ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है ।
अवैध खनन जारी है
हालांकि, अवैध खनन और पर्यावरण का नुकसान अब भी जारी है , लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि अब, इससे शहर का विकास नहीं होता क्यूंकि सिर्फ गिने चुने मुट्ठी भर माफिया ही संलिप्त है इसमें ।
अवैध खनन में बाहुबल
पुराने बाहुबली और पहुंच वाले लोग ही अवैध खनन में संलिप्त है । छोटे और ईमानदार कारोबारीयों के बस में नहीं है इसमें हाथ लगाना ।