सासाराम के आशिक मिजाज डीएसपी का युवती से रंगीन बातों का ऑडियो हुआ वायरल. बता दें कि पहले से ही डीएसपी साहब के आशिक मिजाजी की चर्चा पुलिस महकमे में है. ऐसे में जब से यह ऑडियो वायरल हुआ है. चर्चा का बाजार और गर्म हो गया है.
लेकिन जिस तरह से सासाराम के डीएसपी विनोद कुमार रावत के रंगीन-मिजाजी बातचीत की ऑडियो वायरल हो रही है. यह कहीं ना कहीं आपत्तिजनक है.
रोहतास जिला में आए दिन पदाधिकारियों के इस तरह की खबरें आती रहती है. लेकिन जिस तरह से सासाराम के डीएसपी विनोद कुमार रावत का एक युवती से बातचीत का ऑडियो वायरल हो रहा है. यह कई सवाल खड़े करता है.
Sasaram Ki Galiyan ऑडियो कि पुष्टि नहीं करता है. लेकिन जिस तरह से सासाराम के डीएसपी विनोद कुमार रावत के रंगीन-मिजाजी बातचीत की ऑडियो वायरल हो रही है.
जानकार यह भी बताते हैं कि उत्पीड़न के एक मामले में मां-बेटी DSP साहब के पास पैरवी के लिए आयी थी. इसी दौरान इनकी युवती तथा उसकी मां से नज़दीकियां बढ़ गई.सांसद ने इसी बात को लेकर जल्द से जल्द डीएसपी को हटाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है .
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सांसद ने पत्र में क्या लिखा है ?
सांसद छेदी पासवान ने पत्र में लिखा है कि सासाराम अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी विनोद कुमार रावत ने चार माह पूर्व सासाराम अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी का प्रभार ग्रहण किए थे.
सासाराम SDPO पर गंभीर आरोप
इस दौरान वे कदाचारपूर्ण पर्यवेक्षण कर अपराधियों को लाभ पहुंचाने का काम किए. जिस पर वरीय पुलिस पदाधिकारी ने इनके पर्यवेक्षक पर रोक लगायी गई. इनके विभिन्न पर्यवेक्षणों की जांच हो रही है. इसी बीच कुछ माह बाद स्थायी पदास्थापन कराकर अपराधियों को लाभ पहुंचाने का घिनौना काम बेधड़क कर रहे हैं. जिसके कारण सासाराम शहर में अपराधियों द्वारा दिनदहाड़े बेख़ौफ़ हत्याओं का दौर जारी है.
उन्होंने पत्र में कहा है कि कदाचार और अधमता के बावजूद इनके अभिरुचि के अनुसार इसी स्थान पर पर पदस्थापन लोक प्रशासन की कार्यशैली को संदेह के घेरे में डालता है.
सासाराम के लिए किसी आईपीएस रैंक के पुलिस अधिकारी कि मांग
उनके कदाचार व अक्षमता से संबंधित कई वीडियो फुटेज भी दिखाया गया है. सांसद ने सीएम से संज्ञान लेते हुए बीके रावत की जगह किसी आईपीएस पुलिस अधिकारी को भेजने की मांग की है. कहा कि पास में डेहरी में तीन आईपीएस हैं.
जिला मुख्यालय सासाराम में पूर्व में प्राय: आईपीएस की पोस्टिंग होता रहा है. उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि इस पद पर संदिग्ध चरित्र का दरोगा से प्रोन्नत डीएसपी को लगाना विधि व्यवस्था के प्रति उपेक्षा एवं असंवेदनशीलता का घोतक है.