Scholar hari narayan sigh passed away at 103 years : बुधवार को सासाराम के एक ऐसा व्यक्तित्व पंचतत्व में विलीन हो गये, जो आजादी से पूर्व अंग्रेजों को भी पढ़ाए थे और बिहार के इतिहास का शायद वह पहला और अंतिम व्यक्ति भी होंगे जो 75 वर्षों तक लगातार कानून की रखवाली करते रहे ।
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प्रकृतिक जीवनशैली के दम पर 4 पीढ़ियों को इकट्ठा रखा
प्रकृति के साथ जीवन जीने की कला के साथ हीं इस आधुनिकता के दौर में बिखरते परिवार की परम्परा के बीच चार पीढियों को मरते दम तक एक सूत्र में बांधकर रखने में भी सफल रहे हैं ।
जीवन चक्र
जी हाँ, वर्ष 1918 में तत्कालीन शाहाबाद जिले के तिलईं गांव ( अब जिला रोहतास के सासाराम अनुमंडल में ) निवासी सम्पन्न किसान डोमन सिंह के पुत्र हरि नरायण सिंह ने अपनी आरंभिक शिक्षा तिलौथू तथा माध्यमिक उच्चतर शिक्षा आरा से ग्रहण करने के बाद उच्च शिक्षा कोलकता में हासिल की थी। और वहीं से जिन्दगी में सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक भूमिका निभाना आरंभ किये।
अंग्रेजों को भी पढ़ाया
कानून की पढाई पुरी करने के बाद 1946 से वहीं कानून के प्राध्यापक भी बन गये तब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी और अंग्रेजों के बच्चे भी वहां अध्ययनरत थे, जिन्हें हरि नरायण सिह ने पढ़ाया था ।
सासाराम शहर में आ गए
बाद में वे सासाराम आ गये और यही 1952 से अनुमंडलीय न्यायालय में वकालत करने लगे। 1952 से 2021 तक यानि करीब 69 वर्षों तक कानून की रखवाली करते रहे। यह अपने आप में एक मिसाल है।
103 वर्षीय हरि नारायण सिंह
2019 में इसका 100 वां जन्मदिन मनाया गया था इसके बाद भी अप्रैल 2021 तक वो न्यायालय जाते रहे। 2021 में जब कोरोना संक्रमण चरम पर था तो ये संक्रमित हुए, लेकिन 102 वर्ष के आयु में भी हरि नरायण सिह कोरोना को “धूल चटा कर” अस्पताल से घर लौट आए थे ।
सफल बिजनेस मैन और एमएलसी बने सुपुत्र
अपने दृश्य इच्छाशक्ति तथा आदर्शपूर्ण जीवनशैली के कारण न केवल स्वस्थ व लम्बी उम्र तक जीवित रहे, बल्कि एक संस्कारी तथा संगठित परिवार को भी मजबूती प्रदान की। पूर्व विधान परिषद् सदस्य कृष्ण कुमार सिंह सहित इनके चार पुत्र हैं ।
चार पीढ़ियां एक साथ जॉइंट फॅमिली में रहती हैं
आज भी इनके परिवार के चार पीढियों के करीब चार दर्जन सदस्य एकसाथ रह रहे हैं, जो आज के दौर में अपने-आप में एक मिशाल है। परिवार के सदस्य बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों में अपना नौकरी पेशा तो करते हैं, लेकिन सबका नियंत्रण तथा निगरानी मरते दम तक हरि नरायण बाबु के हाथों में हीं रहा ।
मरते दम तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि परिवार का कोई सदस्य उनका बात काट दे । 8 फरवरी 2022 को बुधवार के दिन उन्होंने 103 वर्ष कि आयु में अंतिम सांस ली तथा आज अपने पैतृक गांव तिलईं में पंचतत्व में विलीन हो गये। ईश्वर इस कर्मयोगी के आत्मा को शांति प्रदान करें ।