tree cutting shershah tomb sasaram 2023 : दशकों से बंद पड़े शेरशाह मकबरा के सामने का पार्क हो या नगर निगम के द्वारा शेरशाह मकबरा के प्रभाकर मोड़ पर फेंके गए कूड़ा के पास , कूड़ा के आड़ में हरे भरे पेड़ो की कटाई कोई नई बात नही है ।
रात को आग लगा कर , सुबह अपने आप आग लगी हुई बता कर हरे भरे पेड़ो को गायब करने का पैटर्न पुराना है । कल भी यही हुआ, मोड़ पर एक पेड़ में जड़ के पास आग लगा हुआ था । सुबह में बेखौफ व्यक्तियों द्वारा पेड़ को काट कर ठेला पर लोड किया जा रहा था ।
पूछने पर बताया की , हरे भरे पेड़ में अपने आप आग लग गई होगी , इसलिए काट कर ले जा रहे हैं । हमने पूछा की मकबरा के अधिकारी या गार्ड रोक टोक नही करते है ? उन्होंने बताया नही ।
नागरिकों को मकबरा से दूर करके , अधिकारी करते हैं मौज !
पार्क बंदी के बाद शेरशाह मकबरा को स्थानीय लोगों के इमोशंस से दूर करने के बाद अधिकारियों की बल्ले बल्ले है । जब लोग सुबह शाम पार्क में टहलने जाते थें तब आस पास के वातावरण पर भी ध्यान देते थे और अंदर में एक भावना भी जगी रहती थी की यह जगह हमारा है । कुछ भी होता था तो लोग बात करते थें, कई बार शिकायत और निराकरण भी कराते थें ।
चूंकि इंसान का दिमाग फायदा घाटा के अनुसार काम करता है अब स्थानीय नागरिक भी शेरशाह मकबरा को लेकर बेखबर रहते हैं । उनके लिए किसी दूसरे राज्य के पर्यटक स्थल की तरह ही मकबरा हो गया है । अच्छा लगता है , देश का धरोहर है तो सम्मान है लेकिन आना जाना , जुड़ाव , फायदा घाटा नही है तो कोई विशेष लगाव भी नही है । जिसका नतीजा यह है की मकबरा के अंदर का पार्क हो या बाहर का पार्क ,दोनो खराब हो रहें है । बाहर वाले बंद पड़े पार्क में पत्थर सोलिंग भी उखड़ने लगा है । घांस भी बढ़े हुए हैं ।