सालो भर पानी लगे रहने के कारण सासाराम के वार्ड संख्या 6 के नागरिक त्रस्त हो चुके हैं , अगर मोटी भाषा में कहें तो अब पानी सिर से उपर जा चुका है ।
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सालो भर पानी लगा रहता है, जीव जंतुओं का है बसेरा
वार्ड संख्या 6 में लगभग 50 घरों में सालो भर पानी लगा रहता है । जिसके चलते विषैले जीव ,जंतु भी अक्सर घरों में आ जाते हैं । कई जगहों पर पानी लगे रहने के कारण काई भी लग चुका है । दुर्गंध आता है ।
बेवस लोगों ने घर बेचने का पोस्टर लगाया
सासाराम के वार्ड संख्या 6 के लगभग 70 से 80 लोगों ने वर्षों से चली आ रही जल जलमाव से त्रस्त आ कर घर बेचने का पोस्टर लगाया है ।
नगर निगम सासाराम में 2 वर्षों से विकास कार्य ठप
नगर परिषद हो या नगर निगम ,सासाराम का नगर निकाय शुरू से ही गंदी राजनीति के भेट चड़ा है । हमेशा कुछ न कुछ विवादों से घिरा रहता है ।
नगर परिषद सासाराम का फिक्स्ड पैटर्न
अगर आप स्थानीय मुद्दों पर नज़र रखते हैं और आप गौर कीजिएगा तो यह पैटर्न समझ में आ जाएगा । यहां के नगर परिषद का पैटर्न है कि ,यहां के सदस्य 2 -3 खेमों में हमेशा बटें रहते हैं ।
जब भी कोई नया अधिकारी , नया चेयरमैन या नया कर्मचारी आता है तो सभी खेमे मिलकर खुब जोरदार स्वागत करते है, सभी उसको ईमानदार बताते हैं और खुद को महा ईमानदार । हर जगह बहाबाही होती है ।
फिर कुछ दिन बाद सभी खेमे अलग अलग हो जाते हैं , वो एक दूसरे का टांग खिचाई शुरू कर देते हैं , तरह तरह के आरोप प्रत्यारोपों का दौर चलता है । केस होता है , लोग जेल जाते हैं, विभाग का कार्य ठप हो जाता है और सासाराम के नागरिकों का बेड़ा गर्क हो जाता है ।
फिर इसके बाद सभी मिलकर नय सिस्टम को लाते हैं, फिर सभी उसको ईमानदार बताते हैं और खुद को महा ईमानदार , मिल जुल कर उसका भी स्वागत करते हैं । फिर ऊपर के कार्यक्रम चालू हो जाता है , टांग खींचई, केस, काम बंद ।
यह एक पैटर्न हैं , हर बार यही होता है , खेमे भी परमानेंट हैं , विरोध और समर्थन करने वाले लोग लगभग हर बार एक ही होते हैं ।
अभी क्यूं है समस्या ?
नगर निगम सासाराम के चेयरमैन पर केस चल रहा है , इसके कारण नगर निगम का रूटीन बैठक नहीं हो पा रहा है । लोग बैठक करने में इंटरेस्टेड भी नहीं है । क्यूंकि चेयरमैन के नहीं रहने पर , डिप्टी चेयरमैन हैं न ? इनके अध्यक्षता में भी बैठक हो सकता है । फिर भी ये लोग नहीं कर रहे हैं ।
ईओ और पार्षदों में खींचतान
नगर निगम सासाराम के अधिकारी ( ईओ) और पार्षदों में खींचतान चल रहा है । इन लोगों में आपसी सहमति नहीं बन पाती है , इसका खमियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ रहा है ।
क्या है विवाद का जड़ ?
ईओ का पैसों के प्रति स्पष्ट रुख है , वो बार बार कहते हैं कि, एक भी पैसे कि गड़बड़ी नहीं होने देंगे। मनमाने ढंड से लिमिट से ज्यादा पैसा नहीं निकालने देंगे। ईओ ने चेयरमैन पर पैसों और योजनाओं में गड़बड़ी संबंधित 2 केस भी किया है ।
जबकि कई सदस्य योजना के लिए संसाधनों कि कमी, सामंजस्य की कमी और जरूरत के हिसाब से पैसों की कमी का आरोप ईओ पर लगाते हैं । अभी कुछ दिनों पहले कई पार्षदों ने डीएम से ईओ की शिकायत भी किया था ।
बैठक नहीं होने से योजनाएं नहीं बन रही और समाधान नहीं हो रहा
नगर निगम सासाराम का बैठक नहीं होने के कारण पिछले 2 वर्षों से सासाराम में विकास कार्य ठप है । जाहिर सी बात है बैठक नहीं होगा , चर्चा नहीं होगा तो समाधान कैसे निकलेगा ?
बैठक क्यूं है जरूरी ?
जिस तरह संसद के बैठक से देश के लिए और विधानसभा के बैठक से राज्यों के लिए कानून, योजनाएं बनते है , फंड जारी होते है उसी तरह नगर निकाय के बैठक से भी योजनाएं, समस्यायों पर चर्चा और समाधान, और फंड का द्वार खुलता है ।
कब तक सासाराम में विकास कार्य चालू होगा ?
नगर निगम सासाराम के सिस्टम का पुराना पैटर्न देखने पर अभी लंबे समय तक समस्या का परमानेंट समाधान होता नहीं दिख रहा है । हर बार की तरह फिर नया सिस्टम आएगा, 4 महीना बाद टांग खींचाई शुरू होगा , केस होगा , एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगेंगे और काम बंद हो जाएगा ।
स्थाई सॉल्यूशन के लिए 60 % सिस्टम को पूरा पूरी बदलना पड़ेगा , जो कि नागरिकों और सरकार के संयुक्त ईमानदार प्रयासों के बिना संभव नहीं है ।