जिला रोहतास के सुंदर शहर डेहरी ऑन सोन के एनिक्ट में इस बार बिहार के सबसे स्वक्ष नगर पालिका का गौरव प्राप्त कर चुके डेहरी नगर पालिका द्वारा आधुनिक पार्क (Dehri Anicut Park) का निर्माण किया जा रहा है । पार्क निर्माण का कार्य जोर शोर से चल रहा है ।
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डेहरी का पार्क शानदार होगा
इस पार्क में बच्चों के लिए झूले और नवयुवकों के लिए जिम बन रहा है ।
वृद्धों के लिए भी विशेष व्यवस्था किया जा रहा है, इनके बैठने के लिए और हलके फुल्के व्यायामों की व्यवस्था की जाएगी ।
पार्क के चारो तरफ पैदल टहलने वालों के लिए फुट पाथ निर्माण किया जा रहा है ।
आधुनिक होगा पार्क
सुरक्षा के लिए गार्ड , लाइट , म्यूजिक सिस्टम , हाई क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे सहित शौचालय और स्वक्ष पानी की भी व्यवस्था होगी ।
इस पार्क से डेहरी के लोगों को बहुत लाभ मिलेगा, शहर के सुंदरता में भी चार चांद लग जाएंगे ।
सासाराम नगर पालिका के सामने शहरवासी सरेंडर
गंदगी, कुव्यवस्था, सड़क जाम के लिए कुख्यात सासाराम नगर पालिका ने शहर के लिए क्या किया है ? यह सोच कर लोग निराश और हताश हो जाते हैं ।
कुछ वर्षों पहले मुख्य रोड पर लाइटें भी लगी थीं, वो लाइटें कब शोभा की वस्तु बन गई किसी को कुछ पता ही नहीं चला ।
जिला मुख्यालय में रेवेन्यू अधिक , सुविधाएं शून्य
सासाराम जिला मुख्यालय है, यहां की आबादी भी अधिक है । जाहिर सी बात है कि रेवेन्यू भी अधिक है ।
इसके वावजूद शहर में ढ़ंग का एक भी पार्क नहीं है ।
नेहरू पार्क पूर्व की कमाई है, अभी की नहीं
नेहरू पार्क में काम जरूर चल रहा है , लेकिन वो तो पुराना है । उस समय के टैक्स और रेवेन्यू से वो बना था , ठीक भी है । लेकिन टैक्स तो अभी भी लगते है , रेवेन्यू अभी भी आते है, तो काम अब क्यूं नहीं होते ? नय जनप्रतिनिधियों ने क्या किया ? इतिहास उन्हे कैसे और क्यूं याद रखेगा ?
शहर का फैलाव हो चुका है , नेहरू पार्क जब बना था तो उस समय के जरूरतों के हिसाब से बना था । अब शहर का आकार बढ़ा है, जरूरतें बढ़ी है , टैक्स बढ़े हैं तो सुविधाएं क्यूं नहीं ?
शेरशाह पार्क भी किसी काम का नहीं
शेरशाह मकबरे के ठीक सामने स्थित यह पार्क पिछले कई वर्षो से बन्द पड़ा है । इसके अंदर कोई व्यवस्था नहीं है ।
20 वर्ष पहले इसमें भी झूले हुआ करते थें , लेकिन सब ख़तम हो गया ।
दोबारा झूले तो नहीं लगे, उल्टा पार्क ही बन्द हो गया । वैसे यह पार्क भारत सरकार के पुरातत्व विभाग का है , नगर परिषद का नहीं ।
टैक्स देने के वावजूद , शहरवासी अभाव में रहने को मजबुर
सासाराम शहर घनी आबादी वाला शहर है । व्यापार और बाजार भी बड़े हैं । टैक्स देने वाले जब ज्यादा होते हैं तो रेवेन्यू भी ज्यादा आता है । अपने आस पास के औरंगाबाद, बक्सर, डेहरी जैसे शहरों को आगे बढ़ता देख कर , यहां के बुद्धिजीवियों में भी सकारात्मक उम्मीदें जागृत होती है ।
लेकिन अफसोस , की यहां पर कोई सुनवाई नहीं है । “अंधेर नगरी चौपट राजा ” पंक्तियों को यहां के जनप्रतिनिधि और अधिकारी चिरतार्थ करते नजर आते हैं ।