“यह वह दौर था जब लोग संक्रमण के डर से अपने घरों में छुपे हुए थे और मैं विभाग द्वारा दिए गए कार्यों को पूरा करने में लगी हुई थी । उस वक्त किसी के घर जाने पर लोग बात करना तो दूर, लोग अपना दरवाजा तक नहीं खोलते थे और लोगों को समझाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था” यह बातें आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 217 की सेविका रिषियंका देवी बताती है।
अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण (coronaVirus) के शुरूआती दौर में एक संक्रमित की पहचान होने पर सासाराम सदर के बारादरी मोहल्ले को कंटेनमेंट जोन बनाकर सील कर दिया गया था. इसी इलाके में पड़ने वाले आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 217 की सेविका रिषियंका देवी आंगनवाड़ी के कार्यों को ईमानदारी और निडरता के साथ करती रहीं ।
इन्होंने गोद भराई, अन्नप्राशन, टीएचआर यानि टेक होम राशन का वितरण जैसे कार्यों को सुचारू रखने व लाभान्वितों को मिलने वाली सुविधाओं को उन तक पहुंचाने के कार्यों को बखूबी अंजाम दिया।
सेविका रिषियंका देवी यह भी बताती है कि फील्ड में जाने के बाद वह भी डर के साए में ही जीती थी क्योंकि उनके भी छोटे-छोटे बच्चे थे ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर भय बना हुआ था। वह बताती है कि इस काम में उनके पति का काफी सहयोग मिला।
वह घर पर बच्चों को संभालते थे, और रिषियंका आंगनवाडी से जुड़े कार्यों को लोगों के घर घर जाकर पूरा करती थी। टीएचआर का वितरण हो या गोद भराई तथा अन्य कोई भी कार्य हो तो इसके लिए पूरी सावधानी बरतनी पड़ती थी।
लोगो के गुस्सा का शिकार होना पड़ता था
सेविका रिषियंका देवी ने बताया उस वक्त कोरोना को लेकर लोगों के बीच में एक अलग भय व्याप्त था। लोगों को बस यही पता था कि “मुझे कोरोना हो जाएगा तो मैं मर जाऊंगा”। गृहभ्रमण के दौरान अक्सर उन्हें लोगो के गुस्सा का शिकार होना पड़ता था।
उन्होंने बताया कि “काफी समझाने बुझाने के बाद कुछ लोग राजी होते थे, पर घर का कोई भी सदस्य हम लोग के करीब नहीं आते थे, परंतु हम लोग के द्वारा किए जा रहे कार्यों को लेकर परिवार के सदस्य काफी गौरवान्वित महसूस करते थे और हमेशा हौसला बढ़ाते थे।
परिवार के द्वारा हौसला बढाए जाने पर कोविड-19 को लेकर डर कम हो जाता था और एक नई ऊर्जा के साथ अगले दिन अपने कार्यों को अंजाम देने के लिए निकल पड़ते थे”।
कोविड-19 ने बेहतर कार्य करने का हौसला प्रदान किया
सासाराम सदर के सीडीपीओ आशा कुमारी कहती है कि “कोविड-19 जैसे वैश्विक महामारी ने खराब परिस्थितियों में भी लोगों को बेहतर कार्य करने का हौसला प्रदान किया है। ” ऐसे में स्वास्थ्य एवं पोषण की सुविधाओं को घर घर पहुंचाने में अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य एवं पोषणकर्मियों की भूमिका अहम रही है ।
सेविका रिषियंका देवी ने हमें यह सिखाया कि परिस्थितियां कितनी भी बुरी हो अगर हौसले मजबूत हो तो हम किसी भी समस्या से निपट सकते हैं।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में भी हम लोगों ने परियोजना के साथ-साथ कोविड-19 को लेकर दिए गए कार्यों को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया और आज भी रिषियंका देवी जैसी सेविका सहायिका एवं पर्यवेक्षिका अपने कार्यों को बखूबी अंजाम दे रही हैं ।