अफगानिस्तान के बामियान के बुद्ध के आंसू तो अपने देखे ही होंगे,देखे नहीं है तो सुने होंगे । बामियान में दुनिया में बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा थी। तालिबान ने उसे विस्फोटक लगाकर उड़ा दिया था । इसी तरह इस्लामिक स्टेट ने भी इराकी पुरातत्व स्थलों को नष्ट किया।
भारत में वैसे हालात नहीं हैं, लेकिन सासाराम के चंदन पहाड़ी की गुफा में महान मौर्य सम्राट अशोक के एक शिलालेख पर मजार बना दिया गया है। आपको बताते चलें कि हिंदुस्तान में अशोक के ऐसे आठ शिलालेख हैं, जिनमें बिहार में केवल एक ही है। इस शिलालेख पर चूने से पोताई करवा चादर चढ़ाई जाती है । पोताई से लिखावट मिटने लगा है ।
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चुना पुताई, चादर चढ़ाई से लेकर कजरी बाबा तक का सफर
जिस भारत देश से बौद्ध धर्म का प्रसार पूरे विश्व में हुआ, बुद्ध वहीं मौन हैं। उनके अनुयायी, इतिहासकार, पुराविद हतप्रभ हैं, न जाने उन्हें और कितने ‘बामियान’ देखने होंगे। अफगानिस्तान के बामियान में तो तालिबान ने पहाड़ पर बनीं बुद्ध की ऊंची मूर्तियों को विस्फोट से धराशाई कर दिया था, परंतु सासाराम में बुद्ध के संदेश की स्थापना को आस्था की आड़ में देश और दुनिया की नजरों से ओझल कर दिया गया है।
अगर सचमुच यहां कोई पीर लेटे होंगे तो वह भी कष्ट में होंगे। कोई भी महात्मा नहीं चाहेंगे कि जिस शिलालेख की पहली ही पंक्ति ‘एलेन च अंतलेन जंबुदीपसि’ यानी जंबू द्वीप भारत में सभी धर्मों के लोग सहिष्णुता से रहें, हो, उस पवित्र पत्थर पर दर्ज संदेश को ओझल कर दिया जाए।
क्या है अशोक के लघु शिलालेखोँ में ?
आपको बताते चलें कि देश में ब्राह्मी लिपि में सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के संदेश लिखे ऐसे शिलालेख मात्र आठ हैं और बिहार में एकमात्र सासाराम का अशोक शिलालेख ।
अशोक शिलालेख को पढ़ा जा चुका है और कई भाषाओं में इसका अनुवाद उपलब्ध है । इसके बारे में और अधिक जानने के लिए हमारे इस खबर पर आपका स्वागत है देश घूमने से पहले सासाराम में बिहार का एकलौता अशोक शिलालेख घूम लिजिए
अंग्रेजों ने ही महत्व समझकर सन् 1917 में संरक्षित धरोहर घोषित कर दिया था
भारत के ज्यादातर धरोहरों की दशा आजादी के बाद बदली है । शेरशाह मकबरा की बात करें तो इसकी स्थिति 1990 के बाद बदली है । लेकिन सासाराम का अशोक शिलालेख इतना महत्वपूर्ण धरोहर है की इसे अंग्रेजों ने ही संरक्षित कर दिया था ।
एएसआइ की अधीक्षक गौतमी भट्टाचार्य ने बताया कि सम्राट अशोक के इस महत्वपूर्ण लघु शिलालेख को ब्रिटिश राज में वर्ष 1917 में संरक्षित किया गया था । इसे प्रारंभिक नोटिफिकेशन (संख्या: बीओ 01332 ईई, 14 सितंबर 1917) तथा अंतिम नोटिफिकेशन (संख्या: बीओ 1814 ईई एक दिसंबर 1917) के जरिए अधिग्रहित किया गया था । आपको बताते चलें कि स्वतंत्रता के बाद एएसआइ ने इस शिलालेख को वर्ष 2008 में संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित किया।
आशिकपुर चंदन गिरी पहाड़ी की चोटी से लगभग 20 फीट नीचे स्थित गुफा में स्थापित शिलालेख के पास एएसआइ ने संरक्षण संबंधी बोर्ड भी लगाया था, परंतु वर्ष 2010 में इस बोर्ड को उखाड़कर फेंक दिया गया और अतिक्रमण का कार्य निरंतर चलता रहा ।
शिलालेख पर पोता मजार का चूना, घेराबंदी कर गेट में जड़ा ताला,शाशन प्रशासन को ठेंगा दिखाकर मुहर्रम कमिटी के जी एम् अंसारी ने खुद रख लिया चाभी
अशोक शिलालेख की घेराबंदी कर गेट में ताला जड़ दिया गया है । शिलालेख के लिखावट पर सफेद मजार के रंग वाले सफेद चूने से पोतवा दिया गया है, उस पत्थर पर हरी चादर ओढ़ाकर किन्हीं सूफी संत की मजार घोषित कर दिया गया है। सालाना उर्स का भी आयोजन हो रहा है।
दोबारा गेट लगने के बाद वर्ष 2012 से कजरी बाबा का मजार कहना शुरू कर दिया गया । धीरे धीरे लोगों में यह प्रचारित होने लगा ।
अलेक्जैंडर कन्निघम सासाराम आकर शिलालेख देखे थें
नवंबर 1875 ई में अलेक्जैंडर कन्निघम भारत आए थे उन्होंने अपनी पुस्तक में इस शिलालेख का जिक्र किया है । कई भाषाओं में इसका अनुवाद भी किया गया है ।20 साल पहले तक सबके लिए यह शिलालेख सुलभ था । लेकिन अब सम्राट अशोक के शिलालेख पर चूना पोतकर धूमिल कर दिया गया है।
डॉ. राजेंद्र सिंह,शिक्षाविद व प्रोफेसर, SP जैन कालेज, सासाराम
कई बार सरकार को पत्राचार कर दी गई जानकारी: एसपी जैन कॉलेज के हिंदी के विभागाध्यक्ष और इस इलाके पौराणिक गतिविधियों पर शोध कर रहे डॉ. राजेंद्र सिंह का कहना है कि वर्ष 2002 में ही कुछ लोगों ने उसे अतिक्रमित कर ‘कजरिया बाबा’ का मजार बना दिया। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के द्वारा कई बार बिहार सरकार एवं स्थानीय प्रशासन को पत्राचार किया गया लेकिन कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया जा सका।
उपेंद्र कुशवाहा को पछाड़ कर बड़े कुशवाह नेता के रूप में उभरने वाले,नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी आज सासाराम में करेंगे प्रदर्शन
इसको लेकर बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सासाराम की चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख पर कब्जा कर मजार बना लिया गया है ।
स्थानीय नेताओं के साथ वो प्रदर्शन करेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि जल्द से जल्द राष्ट्रीय धरोहर को मुक्त करवाया जाए नहीं तो वो अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करेंगे ।