पुरातात्विक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण और सासाराम शहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाला कैमूर पहाड़ी के चंदन गिरी पर्वत पर स्थित सम्राट अशोक का लघु शिलालेख (Ashoka Inscription Sasaram ) ताले में बंद है ,और इसका अस्तित्व संकट में है ।
20 वर्षों से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) शिलालेख को कब्जे में लेने के लिए कई बार गुहार लगाती आई है, परन्तु स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया । फलस्वरूप, यह राष्ट्रीय धरोहर 2 दशकों से सासाराम पहाड़ी के छोटे से कमरे में कैद होकर रह गया है ।
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बुद्ध और सम्राट अशोक ने सासाराम में बिताया था रात
सम्राट अशोक महान का सासाराम में शिलालेख है और वे अपनी धम्म यात्रा के दौरान यहीं पास में ही एक रात रुके थे, शिलालेख पर इसका प्रमाण लिखा हुआ है ।
सम्राट अशोक एक रात यहाँ इसलिए रुके थे कि यहीं गौतम बुद्ध भी संबोधि स्थल से धम्म चक्क पवत्तन स्थल तक जाने के दौरान सासाराम में एक रात रुके थे । 1875 ई. में विश्व विख्यात अंग्रेजी इतिहासकार एलेक्जेंडर कनिंघम भी अशोक का शिलालेख देखने सासाराम आए थे ।
बिहार का एकमात्र लघु शिलालेख सासाराम में
256 ई. पूर्व में अखंड भारत के मात्र आठ जगहों पर मौर्यवंशी सम्राट अशोक महान ने लघु शिलालेख स्थापित करवाए थे । बिहार में सम्राट अशोक का एकमात्र लघु शिलालेख सासाराम के कैमूर पहाड़ी की चोटी पर चंदन शहीद मजार ( 1804 ई. में निर्मित ) के पास स्थापित किया गया था । यह शिलालेख सासाराम को अंतरराष्ट्रीय महत्व प्रदान करता है।
भारत में इन स्थानों पर अशोक के लघु शिलालेख
यह शिलालेख 14 शिलालेखों के मुख्य वर्ग में सम्मिलित नहीं है और इसलिए इन्हें लघु शिलालेख कहा गया है । यह निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त हुए हैं
- रूपनाथ (मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले मैं स्थित)
- गुर्जरा (मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित )
- सासाराम (बिहार)
- भाब्रू (वैराट, राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित )
- मास्की (कर्नाटक के रायचूर जिले में स्थित )
- ब्रहाहगिरी (कर्नाटक चितलदुर्गे जिले में स्थित )
- सिद्धपुर (ब्रहागिरि से 1 मील पश्चिम में स्थित )
- पालकी गुंडू (गवीमठ से 4 मील की दूरी पर कर्नाटक के रायचुर जिले में स्थित )
- राजुल मंडगिरि(आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित )
- अहरौरा (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित )
क्या है अशोक के इस शिलालेख में ?
सासाराम स्थित अशोक का शिलालेख ब्राम्ही भाषा में लिखा हुआ है । इस शिलालेख की पहली पंक्ति “एलेन च अंतलेन जंबूदीपसि” है । इतिहासकार ब्राह्माी लिपि में लिखित इस पंक्ति का अर्थ इस प्रकार बताते हैं, “जम्बू द्वीप भारत में सभी धर्मों के लोग सहिष्णुता से रहें ” ।
इसके अलावे भी कई चीजें इस शिलालेख में लिखा हुआ है जो कि तत्कालीन मौर्या वंश , भारत की स्थिति, उस समय के समाज की जानकारियां ,बौद्ध धर्म ,बुद्ध और दुनिया के बारे में समझने में मददगार हो सकता है ।
अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के शिलालेख को नष्ट करने की कोशिश
लोहे के दरवाजे में कैद शिलालेख को कई बार चुना पेंट से पोता गया है । अशोक का शिलालेख पत्थर का है और इस पत्थर में खुदाई करके संदेश लिखा गया था ।
इस खुदाई करके लिखी गई संदेशों को मिटाने के दुर्भावना से जानबूझकर उसके ऊपर बार बार चुना पेंट पोता गया । इससे इसका अस्तित्व संकट में है ।
पुरातत्व विभाग ने मरने दिया सम्राट अशोक के आत्मा को
सम्राट अशोक महान ने जिस सिद्दत और समर्पण से अखंड भारत के गिने चुने स्थानों पर अपने शिलालेख लगवाएं थें , कहा जाता है कि इन्हीं में सम्राट की पवित्र आत्मा निवास करती है ।
लेकिन भारतीय पुरात्त्व विभाग ने उस सम्राट के आत्मा को भी नहीं बख्शा जिसने भारत की ख्याति पूरी दुनिया में कराई । अनेकों देशों ने जिसको अपना आदर्श बनाया और श्रद्धा से उसका धर्म भी अपना लिया ।
सासाराम में अशोक शिलालेख का एक भी बोर्ड नहीं
अशोक शिलालेख के आस पास या सासाराम शहर में कहीं भी अशोक शिलालेख का सरकारी बोर्ड तक नहीं है, जिससे आम आदमी यह जान सके कि यह महत्वपूर्ण शिलालेख इसी शहर और राज्य में है ।
आपको बताते चलें की यहाँ पर पहले अशोक शिलालेख का बोर्ड हुआ करता था , लेकिन बाद में अशोक शिलालेख को लगातार नष्ट करने के प्रयास में अवैध कब्ज़ा जमाए अतिक्रमणकारियों ने उस बोर्ड को भी उखाड़ कर फेक दिया ।
सासाराम की प्राचीनता दर्शाने वाले और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण यह शिलालेख लोगों के आकर्षण का केंद्र है ।
सैकड़ों इतिहासकार, पुरातत्वविद् व पर्यटक शिलालेख देखने की चाहत में पहाड़ी पर पहुंचते हैं और निराश लौट जाते हैं ।
अतिक्रमणकारियों ने अशोक शिलालेख का बोर्ड व गेट उखाड़ कर फेक दिया
शुरुआत में यहाँ पर अशोक शिलालेख का बोर्ड हुआ करता था लेकिन शिलालेख पर अवैध कब्ज़ा करके नष्ट करने के नियत से सबसे पहले अतिक्रमणकारियों ने अशोक शिलालेख का बोर्ड उखाड़ कर फेक दिया ।
चार फीट चौड़ी गुफा में लघु शिलालेख है
चंदन शहीद मजार से लगभग 20 फीट नीचे पश्चिम दिशा में 10 फीट गहरी व चार फीट चौड़ी गुफा में सम्राट अशोक महान का लघु शिलालेख रखा हुआ है ।
सरकार व प्रशासन के पास अशोक शिलालेख का चाभी नहीं
पुरातत्व विभाग ने कई बार अशोक शिलालेख की स्थिति का जायजा भी लिया था । मरकजी मुहर्रम कमेटी को चाबी सौंपने का सरकारी पत्र भी भेजा गया पर ताला नहीं खुला । प्रशासन द्वारा अनान फानन में एएसआइ को चाबी सौंपने का निर्णय भी लिया गया था ।
अखबारों और मीडिया में खूब खबर चला कईयों ने सुर्खियां भी बटोरी । फिर भी मामला ठंडे बस्ते में ही रहा ।
सासाराम से पर्यटक लौट जाते हैं खाली हाथ
बोधगया से सारनाथ जाने वाले बौद्ध पर्यटक , विदेशी पर्यटक कई बार अशोक शिलालेख देखने के लिए सासाराम आते हैं लेकिन , अशोक शिलालेख देखे बिना वापस चले जाते हैं ।
पहले बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक सासाराम में आकर खाली हाथ लौट जाया करते थें ।
धीरे धीरे यह बात उन्हें भी मालूम चल गई, की सासाराम स्थित अशोक शिलालेख अवैध अतिक्रमण का शिकार है । इस कारण साल दर साल विदेशी पर्यटकों की संख्या कम होती चली गई ।
बुद्धिजीवी और पर्यटक ताला खोलने का करते हैं प्रार्थना
शहर के बुद्धिजीवी और शिक्षित समाज विश्व पटल पर भारत का डंका बजाने वाले सम्राट अशोक महान द्वारा लगाए गए बिहार का एकलौता लघु अशोक शिलालेख का ताला खुलने और सासाराम में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने कि आस में सरकार और सर्वशक्तिमान से प्रार्थना करते हैं ।
बोध गया और सारनाथ के बीच सबसे बड़ा आकर्षण बन सकता है सासाराम
बोध गया और सारनाथ के बीच में सासाराम एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है । लॉर्ड कनिंघम ने अपने शोध में बताया है कि सम्राट अशोक खुद सासाराम में रात बिताए थें । गौतम बुद्ध संबोधि स्थल से धम्म चक्क पवत्तन स्थल तक जाने के दौरान सासाराम में एक रात रुके थे ।
अशोक भी यहां पर एक रात रुके थे । सासाराम एक महत्वपूर्ण शहर था ,तभी तो अफगानिस्तान , हिन्दू कुश पर्वत से लेकर म्यांमार तक फैले मौर्य साम्राज्य के अखंड भारत में अनेकों जगहों को छोड़कर सासाराम में लघु शिलालेख लगाया गया होगा ।
अगर अशोक शिलालेख का चाभी प्रशासन अपने कब्जे में ले लेता है और पर्यटकों के लिए पानी, बिजली, सीढ़ी, गार्ड जैसे आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराता है तो निश्चित ही सासाराम में बड़ी संख्या में बौद्ध और विदेशी पर्यटक आने लगेंगे ।
इससे शहर का विकास होगा , स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा । विदेशी पर्यटक आएंगे तो सासाराम एयरपोर्ट बनना भी आसान हो जाएगा , रेलवे स्टेशन तो विश्व स्तरीय होगा ही ।
ऐसे पहुंचे अशोक शिलालेख
शहर के किसी भी कोने से ई रिक्शा या ऑटो से आप एसपी जैन कॉलेज के पास स्थित चंदन शहीद पहुंच सकते हैं । चंदन शहीद मजार से लगभग 20 फीट नीचे पश्चिम दिशा में 10 फीट गहरी व चार फीट चौड़ी गुफा में सम्राट अशोक महान का लघु शिलालेख लगा हुआ है ।