दिन सोमवार तारीख 14 सितम्बर हम लोग मौजूद हैं सासाराम के सभी बड़े अधिकारियों के ऑफिस यानी कलेक्टरिएट के पास। यहां पर खड़े हो कर किसी भी दिशा में देखने पर एक ही चीज दिखाई दे रही है – गाड़ियों की लंबी लंबी कतारें और खिड़कियों में से झांकते 2 कानों और एक नाक वाले इंसानी सिर । भूखे प्यासे सिर !!
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जाम की समस्या पुरानी !!
जिस अनुपात में शहर का जनसंख्या बढ़ा , गांवों से लोगों ने शहर के तरफ रुख किया , उसी अनुपात में नगर परिषद सासाराम का आमदनी और टैक्स भी बढ़ा । लेकिन सड़क , पानी,नाली और अन्य सुविधाओं में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई ।
कई नय मुहल्ले बसे ,लेकिन उनके आने जाने का कोई साफ सुथरा और चौड़ा मार्ग नहीं बना । शहर का भार एकमात्र जी टी रोड के उपर ही जारी रह गया । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि , हमारे यहां जब शहर का विकास हो रहा था या हो रहा है तो नगर पालिका के पास कोई ठोस प्लानिंग नहीं है। यूं कहें तो , इनकी तैयारी नहीं है ।
इनके पास कोई प्लान और ठोस इंप्लीमेंटेशन सिस्टम नहीं है कि गली कितनी चौड़ी हो, गलियों में चबूतरे बने या ना बने ? अवैध चबूतरों का क्या किया जाए ?
जी टी रोड का कोई विकल्प नहीं है !!
जी टी रोड का कोई विकल्प नहीं होना शहर में सड़क जाम होने के प्रमुख कारणों में से एक है । शहर के किसी कोने में जाने के लिए किसी ना किसी रूप से जी टी रोड का सहारा लेना ही पड़ता है। अन्य शहरों में कई छोटे छोटे रोड होते हैं जो कि एक एरिया को दूसरे एरिया से कनेक्ट करते हैं ।
सासाराम में पुराने रोड जरूर थें , लेकिन प्रशासनिक दूरदृष्टी के अभाव में अब वो सड़कें गलियों के रूप में परिवर्तित हो गए हैं । उदहारण के रूप में बौलिया रोड, रौजा रोड ,धर्मशाला रोड , मछली बाजार से सूखा रौजा तक का रोड देख सकते हैं । जब मुहल्ले बस रहें थें , उसी समय अगर इन सड़कों का विकास और रख रखाव भविष्य के जरूरतों के अनुसार हुआ होता तो , शहर कंजस्टेड नहीं होता ।
अब क्या है विकल्प ?
आधुनिक युग में तकनीकों के मदद से हर समस्या सुलझाया जा सकता है ।
प्रशिक्षित ट्रैफिक पुलिस की तैनाथी, सिग्नल सिस्टम , नय चौराहों को चिन्हित करके वहां भी पुलिस की तैनाथी और जी टी रोड के चौड़ीकरण , बस स्टैंड को शहर के बाहर पूरी तरह से शिफ्ट करने,
ऑटो वालों को प्रॉपर स्टैंड मुहैया करवाने, सरकारी ऑफिसों को मुख्य रोड से कहीं कम भीड़ भाड़ वाले इलाके में शिफ्ट करने और पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथों का निर्माण करा कर समस्या से निजात पाया जा सकता है ।
क्या है संभावना ?
फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है ।
जब तक जनता जागरूक नहीं होगी , सेफ जोन से बाहर निकल कर डिमांड और संघर्ष नहीं करेगी तब तक रेडीमेड सॉल्यूशन मिलना मुश्किल है ।