90 के दशक में सदियों से बदहाल शेरशाह मक़बरा में नई जान फूंक कर जीर्णोद्धार कराने वाले और मंडल कमीसन , ओबीसी आरक्षण विरोध के दौरान बेकाबू हो चुके दंगो पर सख्ती से लगाम लगाने वाले तेज़ तरार और कड़क डीएम मनोज श्रीवास्तव जी का कल निधन हो गया । स्वर्गीय मनोज श्रीवास्तव जी करोना वायरस से बीमार थें और पटना के ऐम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था । गुरुवार की सुबह उन्होंने हम सभी को अल्विदा कह दिया ।बुजुर्गो और शहर के बुद्धिजीवियों द्वारा यह अब तक के सबसे बेहतरीन जिलाधिकारी बताए जाते हैं ।
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शोक की लहर
इस समाचार को सून कर बिहार भर के बुद्धिजीवी दुखी हैं | कल आईएएस एसोसिएशन ने भी गहरी संवेदनाए प्रकट किये थें | व्यक्तिगत रूप से हमें बहुत ही दुख पहुंचा है । बिहार के एक संगठन के बैंगलोर में प्रोग्राम के दौरान इनसे हमारी छोटी मुलाकात हुई थी । सासाराम का नाम सुन कर काफी प्रशन्न हुए थें ।
शेरशाह रौज़ा के आधुनिक शिल्पकार
आप लोग जब शेरशाह मकबरे के पास से गुजरते होंगे तो ,मकबरे के चारो तरफ बिजली के खंभों पर लटकते हुए पुराने टूटे स्ट्रीट लाइटों को जरूर देखे होंगे , वो सब मनोज सर के प्रयासों से ही लगा था । शेरशाह मक़बरा में व्यवस्थित गार्डन , शेरशाह पार्क में झूले ( अब नहीं है ,पार्क भी 2 वर्षों से बन्द है) , बाउंड्री इत्यादि का पक्कीकरण भी मनोज सर ने ही करवाया था । मुगलों तथा अंग्रेजों के समय से बदहाल था शेरशाह मक़बरा । आजादी के बाद भी रख रखाव के अभाव और कुव्यवस्था के चलते मक़बरा उतना सुंदर नहीं दिखता था, जितना आज दिखता है । हर जगह पक्के सोलिंग नहीं थें , कई जगहों पर मिट्टी थी । बाहर बड़े बड़े घास बिना आकर के उगे हुए थे, शौचालय इत्यादि की कोई व्यवस्था नहीं थी । मनोज श्रीवस्तव जी जब सासाराम के( जिला के सेंस में) जिलाधिकारी बने तो इन्होंने बड़े ही ईमानदारी से इक्षाशक्ती दिखाते हुए शेरशाह मक़बरा को संवारने के साथ जिले में कई बड़े काम किए । इन्हीं के सानिध्य में शेरशाह वेलफेयर ट्रस्ट भी बना ।
कड़क मिजाज के थें डीएम मनोज श्रीवास्तव
मनोज जी का नाम कड़क अधिकारियों में लिया जाता था । हालांकि अच्छे लोगों के लिए, दिल से कोमल, समझदार और भावुक व्यक्ति भी बताए जाते हैं ।
आईएएस से उपर के चीज थें ,मनोज श्रीवास्तव जी
प्रायः लोग अधिकारी बनने के बाद , जमीन से कट जाते हैं । उनका उठना बैठना और वातावरण बदल जाता है ।लेकिन मनोज श्रीवास्तव जी , इस स्टरोटाइप को तोड़ने में सफल रहे थे । वो एक मिलनसार और जमीन से जुड़े हुए, आम आदमी का सुख दुख समझने वाले व्यक्ति थे । कई लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार उन्हे बुद्धिजीवी भी बताते हैं ।
कैरियर और प्रारंभिक जीवन
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय के स्कॉलर रहे मनोज जी 1979 में पहली बार , IPS बनें । लेकिन अगले ही वर्ष यानी 1980 में सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया तीसरा स्थान प्राप्त करके ,बिहार कैडर के IAS बनें | उन्होंने इंटरनेशनल डेवलपमेन्ट में कॉर्नील यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल किया था और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर भी थें । MIT के प्रतिष्ठित SPURS फेलोशिप में भी उनका चयन हुआ था । 1980 बैच के आईएएस अफसर थें मनोज श्रीवास्तव जी । बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव भी रहे थें । मनोज जी साल 1996 में बिहार पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक भी थे। रांची में DDC रहने के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्लानिंग कमीसन इंडिया के तत्कालीन डिप्टी चेयरमैन डॉक्टर मनमोहन सिंह से सराहना प्राप्त हुआ था । स्वर्गीय आईएएस मनोज श्रीवास्तव जी बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग में भी अमूल्य योगदान दे चुके हैं ।